तेरी परख न हो सकी,

तेरी परख न हो सकी
ए क़िस्मत मेरी तुझे
पाकर खुशी का मेरी
ठिकाना न रहा अब
सोचता हूं के काश 
मैं तुझको परख लेता 
एक दफा पता चल जाता 
मुझे ए क़िस्मत मेरी के 
तुझमें चमक कितनी है।

Comments

Popular posts from this blog

Life without friends is like

I'm one step away,

If I were a river....