रात भर जागता रहा कोई,
रात भर जागता रहा कोई,
जिंदगी के अंधेरों से भागता रहा कोई,
कोई सपने बुनता रहा खुली आंखों से,
तो कोई हथेली पर लेकर सपनों,
को अपने भटकता रहा दर-बदर,
कोई डर रहा था कदमों की आहट से,
तो कोई भागता रहा उज्जाले की ओर.....
रात भर जागता रहा कोई,
जिंदगी के अंधेरों से भागता रहा कोई,
कोई सपने बुनता रहा खुली आंखों से,
तो कोई हथेली पर लेकर सपनों,
को अपने भटकता रहा दर-बदर,
कोई डर रहा था कदमों की आहट से,
तो कोई भागता रहा उज्जाले की ओर.....
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