एक शाम की कहानी,

एक शाम की कहानी,
कुछ अनकही और कुछ अनजानी,
बंजर जमीन न पास बहता पानी,
सुखा हुआ पेड़ जिसमे पत्तियां पुरानी,
नीले नीले आसमां में,
सुर्ख हवाओं का पहरा है,
टूटा सा एक आशियाना है,
शायद वहां कोई राहगीर ठहरा है,
अंजान है वो शायद इस सरजमीं से,
दूर-दूर तक न कोई साया है,
ना कोई परिंदा दिखाई देता है....

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