नशा ज़िंदगी का....

नशा ज़िंदगी का मुझपर इस कदर चढ़ा यारो 
के मैं मुस्कुराना भूल गया, ज़िंदगी के सफर पर ऐसा निकला, अपना ठिकाना भूल गया, मौके बहोत आए खुद को बदलने के, खुद को समझाना भूल गया, आवाज देकर पुकारा मुझको सबने, मैं कौन हूं मैं अपनी पहचान भूल गया, नशा ज़िंदगी का मुझपर इस कदर चढ़ा यारो......

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