जाने दीजिए...
जाने दीजिए,
गुस्ताखी माफ भी कीजिए, नज़दीक तुम भी थे नज़दीक हम थे एक दूजे के, प्यासे तुम थे प्यासे हम थे मोहब्बत के, मिले जो दो दिल जिस्म और एक जान हमारे तुम्हारे, आग इश्क की ऐसी लगी गुस्ताखी हो गई दर्मियाँ हमारे, अब कुछ कह भी नही सकते आपके बिना रह भी नही सकते गुस्ताखी हुई हम दोनो से ही, अब जाने भी दीजिए....
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