चलो कुछ लम्हे चुराते हैं....

चलो कुछ लम्हे चुराते हैं,
कुछ अपने कुछ तुम्हारे, कभी बैठा करते थे,
अपनो के साथ बातें, सुख-दुःख की किया करते थे,
आ गए समय के फासले दर्मियाँ अपनो के,
अब वो पल हमे याद आने लगे हैं,
फिसलता है समय रेत की तरह,
चलो पकड़ ले समय की धारा को,
तुम कहो तो जिंदगी से अपनी,
कुछ लम्हे चुरा लेते हैं।

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