ज़िंदगी गुज़र रही है,

ज़िंदगी गुज़र रही है साथ अपनो के एक 
छोटे से आशियाने में खुदा सलामत रखे 
हर किसी को बस यही गुज़ारिश है, 

अल्फाज़ नही मिलते हाल ए दिल बयां 
करने को लौटेंगे वो खुशी के पल जिसको
याद कर हम अपने इस दिल को समझाते है,

बस उम्मीद कायम रखना यही गुज़ारिश है
खूब बातें होंगी जब मिलना एक दूसरे से होगा
गिला शिकवे भी होंगे और किसी ने खोया कोई 
अपना खास भी होगा,

इत्मीनान रखिएगा बस यही गुज़ारिश है
सफ़र थोड़ा लम्बा कटने को है बस अपनी
ख्वाइशों को बचा के रखना यही गुज़ारिश है.....

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