आगाज़ ए मोहोब्बत
आगाज़ ए मोहोब्बत उनकी नज़रों का मेरी नज़रों से होने लगा, आहिस्ता आहिस्ता से उनकी बाहों के गलियारे में मैं बंजारा पंछी कैद होने लगा, बरसती रही उनकी बेपनाह मोहोब्बत दिल की देहलीज पर मेरी, और हर लम्हा मैं अपनी जागती आंखों में लेकर एक अधूरा ख़्वाब सोने लगा...
Comments
Post a Comment