ज़ुल्म,

ज़ुल्म हज़ार हुए मुझपर दर्द ख्वाइशों को मेरी अश्कों में बदलता चला गया, हासिल क्या हुआ उनको मालूम नहीं
खोया जो मैंने करना उसका हिसाब बाकी है अभी....

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