एक भूला हुआ शहर
एक भूला हुआ शहर हूं अपने लोगों को याद करता हूं, जो भूल गए हैं मुझको खुदा से उनकी सलामती की दुआ करता हूं, ख़ामोश हूं मैं पर दिल ही दिल उन्हें बहुत याद करता हूं, नींद आती नहीं मुझको और थोड़ा बेज़ान सा दिखता हूं, कभी हंसता खेलता आबाद था मैं मगर अब अपनी खुशियों का ख़्वाबो में इंतज़ार करता हूं, मैं एक भूला हुआ शहर हूं और अपने लोगों को याद करता हूं....
Comments
Post a Comment