रात की आँखों में

रात की आँखों में 
अभी उसके कुछ रह गए ख़्वाब अधूरे है 
कुछ रह गए जो पूरे करने उसके जज़्बात अधूरे है 
रात की ख़ामोशी को पढ़ पाना उसकी आँखों से
मुमकिन नहीं यारो क्योंकि अंधेरे में लगे घाव बड़े
गहरे होते हैं।

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