किनारा दूर है साथी,

किनारा दूर है साथी बस हिम्मत का हाथ थामे रखना, काबिले तारीफ़ है सफ़र अपना बस अपने हौंसला की कश्ती पर तुम यूंही सवार रहना, मिलेगा हमें किनारा अपनी मंज़िल का बस ज़रा मायूसी से थोड़ा बैर बनाए रखना, ना टेकना घुटने तुम ओ साथी बस आँखों में अपनी सपनों को अपने सजाए रखना, तुमको और मुझको तय करने सफ़र ज़िंदगी के और भी कई हैं बाकी, बस तुम नज़रों को मंज़िल पर गड़ाए रखना, चल ढूंढते है नूर ज़िंदगी का जाने छुपा कहाँ वो नूर है साथी...

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