सब्र नहीं करते बनता,

सब्र नहीं करते बनता,
इंतज़ार ए मोहब्बत पैग़ाम का तुम्हारे,
दिल बेचैन रहता है याद तुम्हे करता है,
मेरा दिल नही भरता प्यारी बातों से तुम्हारी,
रहता है इंतज़ार तुमसे मुलाक़ात का,
आगोश में लेकर तुम्हे बहुत कुछ कहना है,
अब तुम्हारे बिन एक पल भी नही रहना है।

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