तुम इस तरह आना

तुम इस तरह आना
लेकर आस ज़िंदगी की जो
खुबसुरत मेरा जहान करे
जो गोद में रोए सुबह शाम
मेरा घर का सूना आंगन 
आबाद करे तरसु जिसकी
एक झलक को वो अपनी
तोतली जुबां जिसकी मेरा 
गुणगान करे देख झलक
उसकी मेरा दिल मुस्कान भरे.....

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