क्या चाहिए तुझे मेरे दिल

क्या चाहिए तुझे मेरे दिल
सुन रहा हूं मैं खामोशी को
तेरी तड़प तेरी जानता हूं
बेचैन क्यों है दर्द मैं तेरा
पहचानता हूं क्यों मुझ
पर तू ऐतबार करता नही
पूछो तो बताता नहीं, कभी
राज़ अपने दिल के दिल
में रखने लगा है शायद 
मुझको समझने लगा है तू......

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