प्यास ले आई हमें

प्यास ले आई हमें
खुद ब खुद दरिया के पास हाथों की ओहखली बनाकर 
ज़रा थोड़ी सी प्यास बुझा लूं फिसलता रहा पानी हथेली से मेरी हर दफा प्यास मेरी बढ़ने लगी समझ आया मुझे बहुत यत्नों के बाद पूरे दरिया को समेट लूं अपनी हथेली पर ये मेरे बस की बात नहीं मैं भी प्यासा रह गया और 
अधूरी रह गई मेरी प्यास भी.....

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