धारा समय की रेत जैसी,

धारा समय की रेत जैसी,
हथेली पर ठहरती ही नहीं,
बदल देती है वजूद हर ज़र्रे का,
उसकी रज़ा के बगैर,
चलना सीखिए समय की,
धारा के साथ नहीं तो,
नही तो अफ़सोस रह,
जाएगा उम्र भर के लिए....

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