कई ऐसे राज़ हैं,

कई ऐसे राज़ हैं,
इन आँखों में मेरी, 
पलकों में कैद कर अपनी,
नज़रे झुका के चलने लगे हैं,
अब हर किसी से नज़रे,
मिलाने से कतराते हैं,
राज़ के साथ दर्द बेइंतेहा छुपा,
रखा है इस दिल में,
बता सकूं ऐसा हमदर्द,
मिला नही मुझे...

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